Wednesday, May 27, 2020

गर्मी मे गला तर करने से पहले ही खेतो मे सूख गया गन्ना.....(आलोक गौड की रिपोर्ट)



आलोक गौड़ 
फतेहपुर(नई सोच)।एक तरफ जहां यह लॉकडाउन दिहाड़ी और छोटे कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को भारी पड़ रहा है।तो वहीं दूसरी तरफ किसानों के लिए भी मुसीबत बनकर टूटा।साथ ही इस बढ़े लॉकडाउन ने मलवा ब्लाक के किसानों के सामने भारी संकट खड़ा कर दिया है जिससे पहले से ही बदहाल हुए किसानों की स्थिति सुधरने की बजाय और गंभीर होती जा रही है। जो किसानों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा करने के साथ साथ उनकी आर्थिक समस्यों को बढ़ाने में भी अपनी अहम भूमिका अदा कर रहा है।
मलवा ब्लाक का मवईया गाव केला और गन्ना के साथ सब्जी की खेती करने के लिये जिले मे जाना जाता है यहा के किसान उन्नतिशील खेती के लिये जिले सहित मुख्यमंत्री से सम्मानित हो चुके है।लाकडाउन के चलते मलवा ब्लाक मवईया गाव के गन्ने की खेती से लाखो कमाने वाले किसानो की मिठास छिन गई है।खेतो मे सैकड़ो बीघा गन्ना सूख गया है।24 मार्च से शुरु लाकडाउन ने बढते बढते किसानो की मुसीबत भी बढा दी है।खास तौर पर यहा के किसानो ने जूस वाला गन्ना तैयार किया था मार्च के अंतिम सप्ताह से शुरु होने वाली हल्की गर्मी से गन्ने के रस की माग बढ जाती है इस बार उसी वक्त कोरोना के कारण लाकडाऊन लग गया और बाजार दुकान सब बंद होने से किसान गन्ना नही बेच पाये।जिससे गन्ना खेतो मे ही सूख गया।इस गन्ने का उपयोग जूस बनाने मे ही किया जाता है। मई के आखिरी सप्ताह तक  किसानो ने इस गन्ने से गुड बनाना चाहा लेकिन भीषण गर्मी और मजदूरो की कमी से वह भी नही हो सका।
एक नजर लागत और आमदनी पर

~मवईया गाव मे 100 बीघे से अधिक सैकडो किसानो ने जूस वाला गन्ना बोया था जो मार्च मे ही तैयार हो गया था।एक बीघे मे सात से आठ हजार गन्ना उत्पादन होता है।एक गन्ने का औसत मूल्य फुटकर मे दस रुपए है।गाव के प्रगतिशील किसान हरीकृष्ण अवस्थी का कहना है की औसत मूल्य को देखे तो साठ से सत्तर हजार रुपए प्रति बीघे का नुकसान हुआ है।उन्होने बताया मवईया गाव केला और गन्ना की खेती करने के लिये प्रदेश की मंडियो मे शुमार है।गन्ना की एक बीघे की खेती मे न्यूनतम लागत बीस हजार आ जाती है।यदि कोई रोग लग गया तो कीमत बढ सकती है।
गन्ना किसानो की जुबानी-
~गाव मे बड़े उत्साह के साथ गन्ने की खेती होती है।हर बार की तरह इस बार भी गन्ना लगाया था लाकडाऊन से बंद हुये बजारो के कारण गन्ना काटकर बेचा नही जा सका जिससे खेतो मे ही सूख गया।

-हरीकृष्ण अवस्थी(सीईओ उत्कर्ष फार्मर प्रोडयुसर)
दिन रात एक करने के बाद तैयार हुई गन्ना की फसल भी महामारी के चपेट मे आ गई।लागत तो डूबी सारे अरमा न भी धरे रह गये।

-गुड्डू रैदास मवईया
जूस वाली गन्ना फुटकर भी बेचो तो दस रुपए की एक चली जाती है।कस्बा क्षेत्रो मे गन्ने का जूस बेचने वाले थोक मे ले जाते थे इसी मे पूरी फसल  चली जाती थी जो इस बार नही हुआ फसल बर्बाद हो गई।

-कपिध्वज किसान मवईया

एक बीघे मे औसतन लागत बीस हजार के आसपास लगती है और उत्पादन प्रति बीघा साठ हजार तक होता है इस बार लाकडाउन ने सब चौपट कर दिया अब तो रोजी रोटी के लाले है।
-सत्यम तिवारी मवईया

No comments:

Post a Comment