Wednesday, February 10, 2021

कर्म अथवा यज्ञ का उद्देश्य परमेश्वर के लिये हो तो वह सफल होता है

मन ही हमारे मोक्ष और बंधन का है कारण

संतो के संग से ही भगवत चिंतन संभव
फतेहपुर(नई सोच)।मलवा विकास खण्ड के कोरसम गाव मे चल रही सप्तदिवसीय संगीतमय श्रीमदभागवत कथा के तृतीय दिवस बुद्धवार को कथा व्यास आचार्य यदुनाथ अवस्थी ने सृष्टि वर्णन,हिरण्याक्ष वध,माता देवहुति  भगवान कपिल संवाद का वर्णन किया।कथा व्यास यदुनाथ अवस्थी ने कहा आध्यात्मिक योग मोक्ष का साधन है।मन ही हमारे बंधन और मोक्ष का कारण है।जब संत पुरुषों का संग होता है तो मन सतोगुण संयुक्त होकर भगवत चिंतन करता है जो ही मुक्ति का कारण भी बन जाता है।भागवत कथा में कपिल भगवान व माता देवहूति प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब कर्म अथवा यज्ञ का उद्देश्य परमेश्वर के लिए होता है तो वह सफल होता है।
कर्मों के उपभोक्ता तो वास्तव में ईश्वर ही है वही हमें कर्म फल प्रदान करते हैं।मनुष्य को अपने माता पिता,गुरु व अपने श्रेष्ठ का अपमान नहीं करना चाहिए।गुरु ज्ञान का दाता है,जो जीवन को परम लक्ष्य परमात्मा से मिलाता है।कथा जो सकल लोक हितकारी,सोई पूछन चली शैल कुमारी...आदि चौपाइयो से कथा का सार समझाया।उन्होने कहा विचारो मे शुद्धता तभी आयेगी जब हमारा आसन,बासन,राशन शुद्ध होगा।इनके शुद्ध होने से भाषण शुद्ध होगा और इसी अनुसार शाशन भी शुद्ध होगा तो सभी सुखी रहेगे।

कथा समापन पर आरती व प्रसाद वितरित किया गया।प्रमुख रूप से सूबेदार,बाबू सिंह,छेदालाल,पूर्व प्रधानाचार्य स्वयंबर सिंह,युवा विकास समिति प्रवक्ता आलोक गौड़,जयप्रकाश शुक्ला,शिक्षक दुर्गेश मिश्रा,दिग्विजय सिंह,सर्वेश शुक्ल,राजेंद्र सिंह,आचार्य  
कृष्णकांत,पप्पू,रमेश अवस्थी,दिनेश,कल्लू सिंह आदि रहे।

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